Home / B.Ed Notes / निर्देशन के प्रकार | Types of Guidance B.Ed Notes

निर्देशन के प्रकार | Types of Guidance B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

रिस्क ने विद्यालयों में छात्रों को दिये जाने वाले विभिन्न प्रकार के निर्देशन और उनके कार्यक्रमों का जो वर्णन किया है, उनका सार निम्नांकित हैं-

निर्देशन के प्रकार | Types of Guidance B.Ed Notes

शैक्षिक निर्देशन-

इसका सम्बन्ध छात्रों की शिक्षा और अध्ययन से है। अतः इस निर्देशन में अधोलिखित बातें होनी चाहिए-

  1. विद्यालय में प्रवेश के समय छात्रों को उचित निर्देशन देना ।
  2. नये छात्रों को विद्यालय की अध्ययन सम्बन्धी बातों से परिचित कराना । (iii) छात्रों को शिक्षा की योजना बनाने और उसमें समय-समय पर परिवर्तन करकेसुधार करने में सहायता देना ।
  3. छात्रों को अध्ययन की उचित विधियों बताना।
  4. छात्रों को पुस्तकालय का उत्तम ढंग से प्रयोग करना सिखाना ।
  5. छात्रों को अपनी शिक्षा की भावी योजनायें बनाने के लिए अन्य विद्यालयों या उच्च शिक्षा संस्थाओं की सूचना देना ।
  6. छात्रों के सम्बन्ध में विद्यालय द्वारा प्रयोग की जाने वाली सूचना को एकत्र करना ।
Also Read:  What is Education: Exploring the Concept and Its Relationship with Philosophy (B.Ed) Notes

व्यावसायिक निर्देशन-

इसका सम्बन्ध छात्रों के किसी व्यवसाय के चुनाव, व्यवसाय के लिए तैयारी, नौकरी पाने और नौकरी में सफलता प्राप्त करने से है। अतः निर्देशन में नीचे लिखी बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए-

  • छात्रों को अपने व्यवसायों को चुनने में सहायता देना।
  • छात्रों को विभिन्न व्यवसायों के लाभ और हानियाँ बताना।
  • छात्रों को उन व्यवसायों की सूचना देना, जिनमें उनकी विशेष रुचि हो ।
  • छात्रों को विभिन्न व्यवसायों के सम्बन्ध में अपनी क्षमताओं, अभिवृत्तियाँ और योग्यताओं को आँकने में सहायता देना ।
  • छात्रों को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण प्राप्त करने और व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वाले विद्यालयों की सूचना प्राप्त करने में सहायता देना ।
  • छात्रों को नौकरी खोजने में और नौकरी मिल जाने पर, उन छात्रों को, जो चाहे सहायता देना है।
Also Read:  संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 | Revised National Education Policy 1986 B.Ed Notes

व्यक्तिगत निर्देशन-

इनका सम्बन्ध उन व्यक्तिगत कठिनाइयों से है, जिनका अनुभव छात्र अपने अध्ययन-काल में करते हैं। अतः इस निर्देशन में निम्नलिखित बातें होनी चाहिए-

  • छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सहायता देना ।
  • छात्रों को उनके अध्ययन में व्यक्तिगत रूप से सहायता देना ।
  • छात्रों को विभिन्न व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने में व्यक्तिगत रूप से पथ-प्रदर्शन करना।
  • छात्रों को व्यक्तित्व सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करने में व्यक्तिगत रूप से परामर्श देना ।
  • छात्रों को अपने वातावरण से अनुकूलन करने में व्यक्तिगत रूप से सहायता देना ।

स्वास्थ्य निर्देशन –

इसका सम्बन्ध छात्र, उसके परिवार और उसके समाज के स्वास्थ्य और सुरक्षा से है। अतः इस निर्देशन में निम्नलिखित कार्य सम्मिलित किये जाने चाहिए-

  • छात्रों को उत्तम आदतों और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यक परामर्श देना ।
  • छात्रों को सुरक्षा और प्राथमिक उपचार की सूचना और प्रशिक्षण देना ।
  • छात्रों को शारीरिक दोषों और अन्य कमियों को दूर करने के लिए परामर्श और प्रशिक्षण देना ।
  • छात्रों को अपने स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त करने में सहायता देना।
  • छात्रों को यौन शिक्षा के बारे में सूचना और परामर्श देना।
Also Read:  Explain: Hammaeroge, Laceration, Contortion, Dislocation, Fracture, Cuts, Wounds, Bites of Insects, Sprained Strain.

सामाजिक निर्देशन-

इसका सम्बन्ध छात्रों के सामाजिक सम्बन्ध से है। अतः निर्देशन में अधोलिखित बातें होनी चाहिए-

  • छात्रों को सामाजिक व्यवहार के बारे में सूचना और परामर्श देना।
  • छात्रों को सामाजिक व्यवहार का प्रशिक्षण देना ।
  • छात्रों में विद्यालय के प्रति उत्तम भावना का निर्माण करना ।
  • छात्रों को नागरिकता के सम्बन्ध में परामर्श देना।
  • विद्यालय में सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
Photo of author
Published by
Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

Related Posts

Leave a comment