शिक्षा मानव समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। और इसमें अध्यापकों का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। एक अच्छे ज्ञानदाता के रूप में, अध्यापकों का काम होता है छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना, बल्कि उन्हें नई सोच और समझ की संभावनाएं देना भी।
अध्यापक एक अच्छे ज्ञानदाता के रूप में (Teacher as a Facilitator of Learning)
एक बच्चे के सर्वांगीण विकास में एक शिक्षक को बहुत महत्वपूर्ण कार्य करना होता है। वास्तव में केवल एक शिक्षक ही बच्चे का समुचित शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास सुनिश्चित कर सकता है। स्कूल परिसर में भी शिक्षक को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। वह सभी शैक्षणिक योजनाओं को व्यावहारिक रूप देते हैं। यहां तक कि सर्वोत्तम शिक्षण पद्धति भी अप्रभावी हो जाती है यदि शिक्षक इसका सही ढंग से उपयोग नहीं करता है। जिस प्रकार स्कूली जीवन में प्रधानाध्यापक मस्तिष्क के रूप में होता है, उसी प्रकार शिक्षक आत्मा के रूप में होता है। आत्मा के बिना शरीर (विद्यालय) निर्जीव है। शिक्षक स्कूली जीवन की प्रेरक शक्ति है।
शिक्षा मानव समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। और इसमें अध्यापकों का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। एक अच्छे ज्ञानदाता के रूप में, अध्यापकों का काम होता है छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना, बल्कि उन्हें नई सोच और समझ की संभावनाएं देना भी।
ज्ञान का स्रोत
अध्यापक छात्रों के लिए ज्ञान का मुख्य स्रोत होते हैं। वे अपने अनुभव और पढ़ाई के माध्यम से ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करते हैं। एक अच्छे अध्यापक का ध्यान हमेशा छात्रों की जरूरतों और इंटरेस्ट पर रहता है, ताकि वे ज्ञान को सर्वोत्तम ढंग से समझ सकें। वे छात्रों के सवालों का समय पर उत्तर देते हैं और उन्हें स्वयं सोचने और अध्ययन करने की प्रेरणा देते हैं।
अध्यापन कौशल
अच्छे अध्यापकों को अच्छे अध्यापन कौशल होते हैं। वे अपने पाठ में रूचि और रोमांचक तत्व जोड़ते हैं, जिससे छात्रों का ध्यान बना रहता है। वे उदाहरण, प्रश्नोत्तरी, गतिविधियाँ, और अन्य संसाधनों का उपयोग करके अध्यापन को रोचक और सरल बनाते हैं। एक अच्छे अध्यापक को यह भी मालूम होता है कि किस तरह से विभिन्न प्रकार के छात्रों के लिए अलग-अलग पाठ योजनाएं तैयार की जाएं।
अध्यापन के अलावा, एक अच्छे अध्यापक को छात्रों के विकास के लिए भी ध्यान देना चाहिए। वे छात्रों के सामाजिक, भावनात्मक, और मानसिक विकास को समझते हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करते हैं। वे छात्रों के स्वयं सम्मान, स्वावलंबन, और सहनशीलता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
सफलता के लिए आवश्यकताएं
एक अच्छे अध्यापक की सफलता के लिए कुछ आवश्यकताएं होती हैं। पहले, वे अपने कार्य में समर्पित होने चाहिए और छात्रों के लिए समय और उत्साह रखने चाहिए। दूसरे, उन्हें छात्रों की अवधारणाओं को समझने की क्षमता होनी चाहिए और उन्हें उनकी स्थिति के अनुरूप मार्गदर्शन देना चाहिए। तीसरे, वे अध्यापन कौशल में माहिर होने चाहिए और नवीनतम शिक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए तत्पर रहने चाहिए।
एक अच्छे अध्यापक को अपने छात्रों के साथ संबंध बनाने की क्षमता भी होनी चाहिए। वे छात्रों के साथ संवाद करते हैं, उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को समझते हैं, और उन्हें स्वयं सम्मान और आत्मविश्वास का एहसास कराते हैं। एक अच्छे अध्यापक को यह भी मालूम होता है कि किस तरह से विभिन्न प्रकार के छात्रों के साथ संबंध बनाएं, जैसे कि समझदार, प्रेरित, और संवेदनशील।
अध्यापक का महत्व (Importance of Teacher)
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट हो जाता है कि विद्यालय जीवन में शिक्षक को अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है शिक्षक को विद्यालय जीवन में ही क्यों सम्पूर्ण समाज में अति महत्वपूर्ण एवं सम्मानप्रद स्थान प्राप्त है। यह महत्व निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट होता है-
- भविष्य निर्माता – डॉ. जाकिर हुसैन के अनुसार वास्तव में शिक्षक हमारे भाग्य निर्माता है। समाज उनकी उपेक्षा से ही अपना विनाश करता है।
- राष्ट्र का मार्गदर्शक- डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, शिक्षक राष्ट्र के भाग्य के मार्गदर्शक है। शिक्षक बौद्धिक परम्पराओं तथा तकनीकी कौशलों को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरण करने में घुरी का कार्य करता है। वह सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षक एवं परिमार्जनकर्ता है। वह बालक का ही मार्गदर्शक नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र का मार्गदर्शक है।
- राष्ट्र की उन्नति में स्थान- अध्यापक का राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण स्थान है। कहा भी जाता है कि एक आदमी हत्या करके एक ही जीवन का अन्त करता है, किन्तु शिक्षक गलत शिक्षा देकर सम्पूर्ण परिवार की हत्या करते हैं तथा सम्पूर्ण राष्ट्र का अहित करते हैं। शिक्षक अपने समुचित शिक्षण से ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करते हैं जो राष्ट्र की प्रगति के आधार होते हैं।
- शिक्षा का रक्षक- समाज में प्रचलित शिक्षा का रक्षक भी शिक्षक होता है। वास्तव में कोई भी शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों के स्तर से ऊपर नहीं जा सकती है। जिस स्तर के शिक्षक होंगे, उस स्तर की शिक्षा व्यवस्था होगी। शिक्षा की गुणात्मक स्थिति शिक्षकों की स्थिति तथा गुणात्मक पहलू पर निर्भर होती है।
दरअसल, शिक्षक बच्चे के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह अपने अच्छे प्रयासों से बच्चे का सफल मार्गदर्शन करता है और उसके व्यक्तित्व का संतुलित विकास कर उसे एक सफल नागरिक बनाता है। इस रूप में वह न केवल बच्चे का बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का भी भला करता है। इसीलिए भारतीय दर्शन में उन्हें ब्रह्मा का रूप दिया गया है। ब्रह्मा के रूप में वह शिक्षक रचनात्मक और विनाशकारी शक्तियों का प्रदाता और स्रोत है। इससे दी गई शिक्षा के आधार पर हम लाभकारी एवं विनाशकारी शक्तियों का निर्माण करते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि यदि एक शिक्षक विनाश करने निकले तो वह एक डॉक्टर, बिल्डर या पुजारी से भी अधिक विनाश कर सकता है। यह नहीं कहा जा सकता कि एक शिक्षक का प्रभाव कहाँ ख़त्म होगा क्योंकि वह अपने छात्रों पर अपने प्रभाव की अनंत छाप छोड़ता है।
शिक्षक के उत्तरदायित्व (RESPONSIBILITIES OF TEACHER)
अध्यापक को परिस्थितियों के अनुसार अनेक कार्य करने पड़ते हैं। उनको वह लग्न से कर सकता है अथवा उपेक्षा की दृष्टि से, किन्तु शिक्षक से यह आशा की जाती है कि वह निम्न कार्यों को पूरा करने हेतु प्रयास करेगा-
- छात्रों का शैक्षिक एवं चारित्रिक विकास करना
- कक्षा का प्रबन्ध एवं समुचित शिक्षण देना
- छात्रों के कार्यों का मूल्यांकन करना
- पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का संचालन करना
- छात्रों का व्यावसायिक विकास करना
- सामाजिकता एवं नागरिकता की शिक्षा देना।
निष्कर्ष
एक अच्छे अध्यापक का महत्वपूर्ण योगदान छात्रों के जीवन में होता है। वे छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें स्वयं को खोजने और विकसित करने का अवसर भी देते हैं। एक अच्छे अध्यापक का काम हमेशा सम्मान और प्रशंसा के योग्य होता है, क्योंकि वे छात्रों के जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।