Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / संवेदनशीलता | Sensitivity B.Ed Notes

संवेदनशीलता | Sensitivity B.Ed Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

संवेदनशीलता एक जटिल अवधारणा है जिसके कई पहलू हैं। यह भावनाओं, उत्तेजनाओं, सूक्ष्म अंतरों, सामाजिक मुद्दों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को समझने और अनुभव करने की क्षमता को दर्शाता है।

संवेदनशीलता क्यों आवश्यक है?

मनुष्य को सृष्टि की श्रेष्ठ रचना माना जाता है, और यह सामाजिक प्राणी भी है। जन्म के बाद, मनुष्य का विकास माता-पिता, गुरु, समिति, संस्थाएं और विशाल संपर्क क्षेत्र के अनेक व्यक्तियों द्वारा होता है। मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, भौतिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, आध्यात्मिक इत्यादि अनेक प्रकार की आवश्यकताएं होती हैं, जिनकी पूर्ति विभिन्न व्यक्तियों के सहयोग से ही होती है। यदि मनुष्य को यह सहयोग न मिले, तो उसकी अनिवार्य आवश्यकताओं की भी पूर्ति नहीं हो सकती है।

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि मनुष्य को जीवित रहने और जीवनयापन करने के लिए अनेक लोगों का सहयोग प्राप्त होता है। इसलिए, मनुष्य में कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए संवेदनशीलता का होना अत्यंत आवश्यक है।

इसे चित्र द्वारा भी व्यक्त किया जा सकता है–

उपरोक्त दर्शाये गये चित्र से स्पष्ट है कि मनुष्य को अपने जीवन यापन करने के लिए अनेक व्यक्तियों के कार्य–सहयोग की आवश्यकता होती है और यही कारण है कि मनुष्य में उन सभी के प्रति संवेदना का माप विकसित होना चाहिए।

संवेदनशीलता विकसित करने के कुछ तरीके:

  • दूसरों को ध्यान से सुनें: जब कोई आपसे बात कर रहा हो, तो ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें।
  • दूसरों के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें: खुद को उनके स्थान पर रखें और उनकी सोच और भावनाओं को समझने का प्रयास करें।
  • सहानुभूति और करुणा का अभ्यास करें: दूसरों के दुखों को महसूस करें और उनकी मदद करने के लिए प्रेरित हों।
  • सामाजिक मुद्दों में भाग लें: सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं और सभी के लिए समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए काम करें।
Also Read:  PPT Full Form with its definition and importance.

संवेदनशीलता के कुछ पहलू:

  • सहानुभूति: दूसरों के दुखों को समझना और उनका अनुभव करना।
  • करुणा: दूसरों की मदद करने की इच्छा।
  • दूसरों के प्रति सम्मान: दूसरों के विचारों, भावनाओं और अनुभवों को महत्व देना।
  • न्यायपूर्ण व्यवहार: सभी के साथ समान व्यवहार करना।
  • क्षमा: दूसरों की गलतियों को क्षमा करने की क्षमता।

संवेदनशीलता के लाभ:

  • मजबूत संबंधों को बढ़ावा देता है: जब हम दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं, तो यह हमारे संबंधों को मजबूत और अधिक सार्थक बनाता है।
  • समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है: जब हम दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं, तो हम सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और सभी के लिए समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है: जब हम दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं, तो यह हमें खुशी और संतुष्टि का अनुभव कराता है, और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
Also Read:  शैशवावस्था में शिक्षा का स्वरूप | Nature of Education in Infancy B.Ed Notes

Also Read: [catlist name=bed-deled]

संवेदनशीलता कैसे विकसित करें

संवेदनशीलता एक महत्वपूर्ण गुण है जो हमें दूसरों से जुड़ने, सकारात्मक संबंध बनाने, सहानुभूति और करुणा दिखाने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में मदद करता है।

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपनी संवेदनशीलता विकसित कर सकते हैं:

1. ध्यान से सुनें: जब कोई आपसे बात कर रहा हो, तो ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें।

2. दूसरों के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें: खुद को उनके स्थान पर रखें और उनकी सोच और भावनाओं को समझने का प्रयास करें।

3. सहानुभूति और करुणा का अभ्यास करें: दूसरों के दुखों को महसूस करें और उनकी मदद करने के लिए प्रेरित हों।

4. सामाजिक मुद्दों में भाग लें: सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं और सभी के लिए समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए काम करें।

5. कृतज्ञता का अभ्यास करें: उन लोगों और चीजों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करें जो आपके जीवन में हैं।

6. खुले दिमाग वाले बनें: विभिन्न संस्कृतियों, विचारों और लोगों के प्रति खुले रहें।

Also Read:  Behavioral : Trial and error, conditioning (classical and Operant) and social learning (B.Ed) Notes

7. दूसरों के प्रति दयालु बनें: छोटी-छोटी दयालुताएं भी एक बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

8. क्षमा करना सीखें: दूसरों की गलतियों को क्षमा करने की क्षमता विकसित करें।

9. स्वयं के प्रति दयालु बनें: अपनी गलतियों से सीखें और खुद को स्वीकार करें।

10. प्रकृति से जुड़ें: प्राकृतिक दुनिया की सुंदरता और नाजुकता का अनुभव करें।

संवेदनशीलता विकसित करना एक निरंतर प्रक्रिया है। धैर्य रखें और अपने आप पर विश्वास रखें। समय और प्रयास के साथ, आप अधिक संवेदनशील और दयालु व्यक्ति बन सकते हैं।

इस प्रकार, सारांश यह है कि जब तक व्यक्ति में अपनी भूमिका के प्रति अज्ञानता है वह अहंकारपूर्ण होकर असंवेदनशील व्यवहार करता है और जब उसमें अपने अस्तित्व से संबंधित वास्तविकता का बोध हो जाता है तो वह स्वयं को भी आत्मस्वरूप मानता है एवं सांसारिक प्रतिक्रियाओं के प्रति आत्मा रूप में व्यवहार या प्रतिक्रिया करता है जो कि संवेदनापूर्ण होती है और अन्य लोगों के प्रति भी संवेदनशील होकर उनके आत्म स्वरूप का आदर करते हुए उनके व्यवहार से विचलित नहीं होता।

व्यक्ति के ज्ञान में स्वयं को शरीर न मानकर ‘आत्म’ रूप की समझ व्यक्ति को संवेदनशील बनाती है। यह व्यक्ति के जीवन को जहाँ सुख, शांतिमय बनाती है वहीं समाज में भी सामंजस्यता का वातावरण उत्पन्न करती है। चूंकि व्यक्ति ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है अतः उसके लिए जीवन सत्य का ज्ञान होना आवश्यक है।

Leave a comment