लिंग (Gender)
लिंग वह रूप है जिससे पुरुष या स्त्री जाति का बोध होता है। अर्थात, जब हम किसी को पुरुष या स्त्री के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं, तो हम उन्हें उनके लिंग के अनुसार जानकारी देते हैं।
लिंग के प्रकार–
हिंदी में लिंग दो प्रकार के होते हैं।
- पुल्लिंग – शब्द के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे: छात्र, चाचा, बूढ़ा, नौकर, शेर, बंदर ताला, बंदर आदि।
- स्त्रीलिंग – शब्द के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की स्त्रीजाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – छात्रा, चाची, बुढ़िया, नौकरानी, घास, खिड़की आदि।
पुल्लिंग की पहचान–
- जिन शब्दों का अंत ‘अ’ से होता है, वे अधिकतर पुल्लिंग होते हैं जैसे – शेर, फल, भवन, घर आदि।
- जिन शब्दों के अंत में खाना, दान, वाला, एरा, आव, आ, पन, त्व आदि आता है, वे पुल्लिंग होते हैं।
- व्यवसायसूचक शब्दों के नाम पुल्लिंग होते हैं जैसे – राज्यपाल, सैनिक, दुकानदार, व्यापारी, शिक्षक, नाटककार, कथाकार, डॉक्टर आदि।
- वर्णमाला के अक्षर पुल्लिंग होते हैं जैसे – अ, आ, क, ख, ग, घ आदि (इ, ई, क्र स्त्रीलिंग)
निम्नलिखित वर्ग के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं –
- अंग – बाल, मुँह, कान, सिर, हाथ, पैर (आँख, नाक स्त्रीलिंग)
- महीने – आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, कार्तिक, मार्गशीष, पौष, वैशाख, ज्येष्ठ आदि (अंग्रेज़ी महीनों में जनवरी, फरवरी, मई, जुलाई अपवाद हैं)
- धातु – सोना, ताँबा, लोहा, पीतल (चाँदी स्त्रीलिंग)
- अनाज – चावल, बाजरा, गेहूँ, मूंग (अरहर, ज्वार स्त्रीलिंग)
- समुद्र – प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अरब सागर, लाल सागर, भूमध्य सागर, अंध महासागर आदि।
- पर्वत – कैलाश, विंध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, हिमालय।
- स्थान – वाचनालय, विद्यालय, पुस्तकालय, न्यायालय, चिकित्सालय, मंत्रालय, शयनगृह आदि।
- द्रव्य – घी, पानी, डीज़ल, तेल आदि। रत्न – नीलम, पुखराज, हीरा, मोती, मूंगा, पन्ना।
- वार – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार तथा रविवार।
- ग्रह – शनि, चंद्र, ध्रुव, बृहस्पति, रवि, मंगल, सूर्य।
स्त्रीलिंग की पहचान–
संस्कृत की आकारांत, उकारातं और इकारांत संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं जैसे – माला, वायु, शक्ति आदि।
जिन शब्दों के अंत में आवट, आहट, ता, आई, इया, नी, इमा, री, आस आदि आता है वे स्त्रीलिंग होते हैं।
लिंग की परिभाषा-
लिंग उन शब्दों का रूप होता है जिनसे स्त्री और पुरुष में अंतर किया जा सके। यानी अगर स्त्री और पुरुष का बोध कराते हो उन्हें लिंग कहा जाता है।
- हाथी – हथनी
- माली – मालिन
- कवि – कवियत्री
- राजा – रानी
- सम्राट – सम्राज्ञी
- घोड़ा – घोड़ी
- लेखक – लेखिका
- लड़का – लड़की
- पंडित – पंडिताइन
लिंग का अर्थ-
लिंग का शाब्दिक अर्थ है— निशान के साथ पहचान का साधन, शब्द के जिस रूप से यह जाना जाय कि वर्णित वस्तु या व्यक्ति पुरूष् जाति का है या स्त्री जाति का उसे लिंग कहते है।
लिंग संज्ञा का गुण है अत: हर संज्ञा शब्द या तो पुल्लिंग होगा या स्त्री लिंग।
लिंग के द्वारा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों की जाति का बोध होता है ।
जिसमें संज्ञा के दो रूपों को बताया गया हैं।
- प्राणिवाचक संज्ञा- घोड़ा-घोड़ी, माता-पिता, लड़का-लड़की इत्यादि।
- अप्राणिवाचक संज्ञा– गिलास, प्याली, पेड़, पत्ता इत्यादि।
लिंग के भेद
लिंग के मुख्यतः तीन भेद होते हैं-
- पुल्लिंग (पुरुष जाति)
- स्त्रीलिंग (स्त्री जाति)
- नपुंसकलिंग
पुल्लिंग किसे कहते है?
शब्द का वह रूप जिससे पता लगाया जाता है कि वह पुरुष जाति का है उन्हें पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे बेटा, कुता, लड़का, घोड़ा भेंड आदि।
उदाहरण–
- सजीव : बकरा, घोड़ा, लड़का, आदमी, शेर, हाथी, भेड़िया, खटमल, बन्दर, कुत्ता, बालक, शिशु, पत्रकार, राजा, राजकुमार आदि।
- निर्जीव : रुमाल, कपड़ा, रक्त, रबर, शहद, सोना, वसंत, लगान, फल, धन, पत्थर, नशा, नक्शा, पोषण, भाग्य, मटर, धंधा, दबाव आदि।
स्त्रीलिंग किसे कहते हैं?
शब्द का वह रूप जिससे पता लगाया जाता है कि वह स्त्री जाति है उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। जैसे बेटी, पुत्री, शिक्षिका, गाय, मोरनी आदि।
उदाहरण
- सजीव : माता, लड़की, भेद, गाय, भैंस, बकरी, लोमड़ी, बंदरिया, मछली, बुढिया, शेरनी, नारी, रानी, राजकुमारी, बहन आदि।
- निर्जीव : धोती, टोपी, सड़क, सजा, भीड़, छत, किताब, ईंट, ईर्ष्या, मंजिल, परत, झोंपड़ी, गंगा, नदी, शाखा, कुर्सी आदि।
कुछ पुल्लिंग शब्द एवं उनका वाक्य में प्रयोग
यहाँ लिंग में पुल्लिंग शब्द के कुछ उदाहरण हैं I
- इंधन : इंधन जलाने से प्रदुषण होता है।
- घाव : तीर लगने से घाव हो गया है।
- घी : हमें चावल के साथ घी खाना चाहिए।
- अकाल : हमारे यहाँ हर साल अकाल पड़ता है।
- आँसू : मेरी आँखों से आंसू आ रहे हैं।
- रुमाल : मेरा रुमाल मैंने तुम्हे दे दिया था।
- आइना : आइना आज साफ़ नज़र आ रहा है।
- स्वास्थ : तुम्हारा स्वास्थ ठीक रहना चाहिए।
- क्रोध : क्रोध करना हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक है।
- होश : उस लड़की को देखते ही मेरे ओश उड़ गए।
- तीर : मुझे हवा में तीर चलाना आता है।
- दाग : स्याही लगने से मेरी सफ़ेद कमीज़ पर नीला दाग हो गया।
कुछ स्त्रीलिंग शब्द एवं उनका वाक्य में प्रयोग
- तबियत : तुम्हारी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है।
- कमर : उस दिन से मेरी कमर दुःख रही है।
- खबर : मुझे यह खबर बहुत देरी से मिली।
- खोज : कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी।
- घूस : हमें किसी भी अधिकारी को घूस नहीं देनी चाहिए।
- चील : मुझे आकाश में चील उडती हुई दिखाई दे रही है।
- किताब : किताब हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं।
- उम्र : मेरी उम्र बढती जा रही है।
- ईंट : दीवार में ईंट सबसे महत्वपूर्ण होती है।
- धूप : आज सुनहरी धुप खिल रही है।
- चमक : तुम्हारी वह चमक अब नहीं रही।
- गर्दन : मैं तुम्हारी गर्दन मरोड़ दूंगा।
लिंग के उदाहरण
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
अनुज | अनुजा |
अभिनेता | अभिनेत्री |
अभिमानी | अभिमानिनी |
अहीर | अहीरनी |
आयुष्मान | आयुष्मती |
इंद्र | इंद्राणी |
ऊँट | ऊँटनी |
ओझा | ओझाइन |
नर मछली | मछली |
कवि | कवयित्री |
कहार | कहारिन |
कुत्ता | कुतिया |
कुम्हार | कुम्हारिन |
कौआ | मादा कौआ |
गधा | गधी |
गायक | गायिका |
नर गिलहरी | गिलहरी |
गीदड़ | गीदड़ी |
गीदड़ | मादा गीदड़ |
गुड्डा | गुड़िया |
गुरू | गुरूआइन |
गैंडा | मादा गैंडा |
गोरा | गोरी |
चिड़ा | चिड़िया |
चीता | मादा चीता |
चूहा | चुहिया |
विद्वान | विदुषी |
चौबे | चौबाइन |
छात्र | छात्रा |
नर छिपकली | छिपकली |
जाट | जाटनी |
जेठ | जेठानी |
ज्ञानवान | ज्ञानवती |
ठग | ठगिनी |
ठाकुर | ठाकुराइन |
डिब्बा | डिबिया |
तपस्वी | तपस्विनी |
दर्जी | दर्जिन |
दर्शक | दर्शिका |
दाता | दात्री |
देव | देवी |
देवर | देवरानी |
धनवान | धनवती |
नगर | नगरी |
नर | मादा |
नाग | नागिन |
नाती | नातिन |
नायक | नायिका |
नेता | नेत्री |
नौकर | नौकरानी |
पंडित | पंडिताइन |
पति | पत्नी |
पाठक | पाठिका |
पापी | पापिन |
पिता | माता |
पुत्र | पुत्री |
पुत्रवान | पुत्रवती |
पुरष | स्त्री |
प्रिय | प्रिया |
प्रियतम | प्रियतमा |
बंदर | बंदरिया |
बलवान | बलवती |
बाबू | बबुआइन |
बालक | बालिका |
बुद्धिमान | बुद्धिमती |
बूढ़ा | बुढ़िया |
बेटा | बेटी |
भगवान | भगवती |
भवदीय | भवदीया |
भील | भीलनी |
नर भेड़ | भेड़ |
ग्वाला | ग्वालिन |
भैंसा | भैंस |
नर मक्खी | मक्खी |
मच्छर | मादा मच्छर |
मज़दूर | मज़दूरनी |
मामा | मामी |
मालिक | मालकिन |
मूर्ख | मूर्खा |
मोर | मोरनी |
याचक | याचिका |
युवक | युवती |
रचयिता | रचयित्री |
रीछ | रीछनी |
लड़का | लड़की |
लाला | ललाइन |
लेखक | लेखिका |
लोटा | लुटिया |
नर लोमड़ी | लोमड़ी |
वनवासी | वनवासिनी |
वर | वधू |
विधाता | विधात्री |
वृद्ध | वृद्धा |
शिक्षक | शिक्षिका |
शिष्य | शिष्या |
शूद्र | शुद्रा |
शेर | शेरनी |
श्रीमान | श्रीमती |
साँप | साँपिन |
सिंह | सिंहनी |
अन्य 100+ लिंग के महत्वपूर्ण उदाहरण
पुल्लिगं – स्त्रीलिंंग
- दादा – दादी
- घोड़ा -घोड़ी
- आचार्य-आचार्यों
- वृहद-वृहदा
- आत्मज-आत्मजा
- प्रिय-प्रिया
- नीरज-नीरजा
- चंचल-चंचला
- सुत-सुता
- श्याम -श्यामा
- कांत-कांता
- चंद्र-चांदनी
- पूज्य-पूज्या
- अग्रज-अग्रजा
- बालक-बालिका
- बाल-बाला
- बूढ़ा-बूढ़ी
- नाना-नानी
- चाचा-चाची
- भाई-बहन
- मामा-मामी
- मुर्गा-मुर्गी
- चिड़ा-चिड़ी
- कुत्ता-कुतिया
- तोता-मैंना
- कबूतर-कबूतरी
- बकरा-बकरी
- बेल-गाय
- नाग-नागिन
- भैंसा-भैंस
- शेर-शेरनी
- बाघ-बाघिन
- बिलोता-बिल्ली
- बंदर-बंदरिया
- नर जिराफ-मादा जिराफ
- काला-काली
- चीता-मादा चिता
- ब्राह्मण-ब्राह्मणी
- डॉक्टर-डॉक्टरनी
- नर नर्स-मादा नर्स
- राजा-रानी
- विदूषक-विदुषी
- विधुर-विधवा
- साधु-साध्वी
- माधव-माधवी
- भिक्षुक-भिक्षुका
- भाई-भाभी
- विधाता-विधत्री
- नर विधार्थी-मादा विधार्थी
- पोता-पोती
- इंद्र-इंद्राणी
- राक्षस-राक्षसी
- छाता-छतरी
- बाबू-बाबूआईन
- स्वामी-स्वामिनी
- ससुर-सास
- सबल-सबला
- क्षत्रिय-क्षत्राणी
- राजपूत-राजपूतानी
- कोठा-कोठी
- बेटा-बेटी
- चूहा-चुहिया
- गूंगा-गूंगी
- काना – कानी
- मोटा – मोटी
- बहरा- बेहरी
- ऊंट – ऊंटनी
- ऊचा-ऊची
- बलवान-बलवंती
- पहलवान-मादा पहलवान
- अभिनेता-अभिनेत्री
- नेत्र-नेत्री
- नाता-नाती
- नाटा -नाटी
- कर्ता-करती
- कुम्हार-कुम्हारिन
- कौआ-मादा कौआ
- गधा-गधी
- गायक-गायिका
- देव-देवी
- देवता-देवती
- माली-मालिनी
- पंडित-पंडितानी
- सेठ-सेठानी
- मर्द-औरत
- दास-दासी
- पत्र-पत्रिका
- चालक -चालिका
- पाठक-पाठिका
- गुड्डा-गुड़िया
- तपस्वी-तपस्विनी
- तेजस-तेजस्वी
- श्रीमान-श्रीमती
- तनुज-तनुजा
- दाता-दात्री
- गोप-गोपी
- लोभी-लोभिनि
- तार्किक-तर्किकि
- पहाड़-पहाड़ी
- डिब्बा-डिब्बी
जानवरों के नाम के लिंग बदले –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
---|---|
घोड़ा | घोड़ी |
शेर | शेरनी |
मोर | मोरनी |
भील | भीलनी |
ऊंट | ऊंटनी |
हाथी | हथिनी |
बंदर | बंदरिया |
कुत्ता | कुतिया |
मुर्गा | मुर्गी |
शेर | शेरनी |
सांप | सांपिन |
बकरा | बकरी |
बाघ | बाघिन |
चूहा | चूहिया |
नाग | नागिन |
बैल | गाय |
कबूतर | कबूतरी |
हिरन | हिरनी |
- लिपि – देवनागरी, गुरुमुखी, रोमन।
- भाषा – हिंदी, संस्कृत, मराठी, बंगला, तमिल, जर्मन, मलयालम, फारसी, गुजराती।
- तिथि – प्रथम, द्वितिया, तृतीया, चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी, पूर्णिमा, प्रतिपदा, अमावस्या।
- प्राणी – मैना, मछली, चील, छिपकली, गिलहरी, कोयल आदि। इनके साथ आगे नर जोड़ने पर ये
- पुल्लिंग बनती हैं।
- भोजन – जलेबी, पूरी, सब्ज़ी, रोटी।
- अंग – आँख, नाक, ठोड़ी, छाती, जीभ, पसली, एड़ी, पिंडली, पलक, कमर, जीभ।
लिंग की पहचान–
प्राणी वर्ग में लिंग की पहचान करना आसान है परंतु अप्राणी वर्ग में लिंग पहचान के लिए उनके व्यवहार के आधार पर उन्हें पुल्लिंग व स्त्रीलिंग माना गया है। यद्यपि इस प्रकार के शब्दों का लिंग जानने के लिए उन शब्दों के साथ वाक्यों में जो क्रिया हो रही है या उनके विशेषणों पर ध्यान दें तो हम लिंग पहचान कर सकते हैं जैसे –
- कार जा रही है। (कार स्त्रीलिंग है।)
- जहाज़ चल चुका है। (जहाज़ पुल्लिंग है।)
- उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में क्रिया से संज्ञा की लिंग पहचान हो रही है।
- साड़ी पीली है। (साड़ी स्त्रीलिंग है।)
- सूट नीला है। (सूट पुल्लिंग है।)
- उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में विशेषण के आधार पर संज्ञा की लिंग पहचान हो रही है।