Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / भोजन से क्या तात्पर्य है? इसके कार्य एवं आवश्यकता B.Ed Notes

भोजन से क्या तात्पर्य है? इसके कार्य एवं आवश्यकता B.Ed Notes

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

भोजन केवल भूख ‘शान्त’ मात्र के लिए नहीं होता जो भोजन केवल भूख शान्त करने के लिए खाया जाता है वह वास्तविक अर्थों में भोजन नहीं होता है क्योंकि उन भोज्य पदार्थों द्वारा हमारी भूख तो शान्त हो जाती है, पर हमारे शरीर के जो कार्य होते हैं वह पूर्ण नहीं हो पाते हैं। ये पौष्टिक तत्त्व हमें अलग-अलग भोज्य पदार्थों द्वारा प्राप्त होते हैं। भोज्य पदार्थ अर्थात् हम जिन्हें भोजन के रूप में खाते हैं, ये तत्त्व रासायनिक पदार्थ होते हैं। ये पौष्टिक तत्त्व हमारे शरीर को शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक रूप से स्वस्थ रखते हैं। हमारे शरीर के भीतर अनेक रासायनिक क्रियाएँ होती हैं जिन रासायनिक क्रियाओं को पौष्टिक तत्त्व पूर्ण करते हैं। इन रासायनिक क्रियाओं के पूर्ण होने से हमारा स्वास्थ्य सही रहता है। ये पौष्टिक तत्त्व छह प्रकार के होते हैं-

  1. प्रोटीन (खाद्योज पदार्थ)
  2. कार्बोहाइड्रेट्स
  3. लिपिड ( वसा या चिकनाईयुक्त भोज्य पदार्थ)
  4. जल
  5. विटामिन
  6. मिनरल्स (खनिज लवण)
Also Read:  वैश्वीकरण से हानियाँ | Disadvantages of Globalization B.Ed Notes

भोजन के कार्य तीन प्रकार के होते हैं-

  • शारीरिक कार्य
  • सामाजिक कार्य
  • मनोवैज्ञानिक कार्य ।

हम जो खा रहे हैं वह वास्तव में भोजन कहलाने लायक हो। मनुष्य द्वारा खाया जाने वाला भोजन कहलाने लायक है या नहीं यह उसकी रासायनिक रचना पर निर्भर करता है।

विशेषताएँ –

  • भोज्य पदार्थ की संरचना – हम जो कुछ खाते हैं उसका पाचन होता है। पाचन क्रिया द्वारा उन भोज्य पदार्थों के पौष्टिक तत्त्व अपने सरलतम रूप में विखण्डित होते हैं और तब उनका अभिशोषण होता है। मनुष्य द्वारा खाये जाने वाले भोज्य पदार्थ की रासायनिक रचना इस प्रकार की होनी चाहिए कि वे पाचन संस्था में उपस्थित पाचक रसों में आसानी से घुल जायें क्योंकि बिना उन पाचक रसों में घुले उनका पाचन नहीं। हो सकता है। अतः आवश्यक है कि वे भोज्य पदार्थ पाचक रसों में घुल जायें ताकि अपचयन की शिकायत भी न रहे।
Also Read:  एकीकृत शिक्षा तथा विकलांग बालकों की पाठ्यक्रिया | Integrated education and curriculum for handicapped children B.Ed Notes
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

भोजन के कार्य एवं आवश्यकताएँ

  • शारीरिक कार्य — भोजन के शारीरिक कार्यों को पुनः 3 भागों में बाँटा जाता है-
    • शरीर में नयी कोशिकाओं का निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करना।
    • शरीर को ऊर्जा प्रदान करना जो ऊर्जा शरीर को शक्ति देती है ।
    • शरीर को सुरक्षा प्रदान करना अर्थात् शरीर में रोगरोधन क्षमता उत्पन्न करना जो हमें संक्रमण रोगों से बचा सके, शरीर को सुरक्षित रखे तथा शारीरिक क्रियाओं को नियन्त्रित रख सके ।

भोजन के ये तीनों मुख्य कार्य भोजन में उपस्थित पौष्टिक तत्वों द्वारा पूर्ण होते हैं। हमारे भोजन में उपस्थित 6 पौष्टिक तत्त्व इन कार्यों को पूर्ण करते हैं।

  • शरीर निर्माण का कार्य- प्रोटीन, खनिज लवण, मुख्यतः कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह लवण तथा आयोडीन तथा इसके अतिरिक्त जल पौष्टिक तत्त्व द्वारा पूरे किये जाते हैं।
  • ऊर्जा देने का काम –कार्बोज द्वारा वसा पर किया जाता है, इनकी अनुपस्थिति में यह काम प्रोटीन द्वारा किया जाता है।
  • सुरक्षा देने का कार्य – शरीर को सुरक्षा प्रदान करने का काम मुख्य रूप से जीवन सत्व का होता है, इस काम में खनिज लवण, प्रोटीन, जल भी सहायता करते हैं
Also Read:  बाधित बालकों हेतु कक्षा प्रबंधन | Classroom Management for Disabled Children B.Ed Notes

Leave a comment