Home / B.Ed Notes / भाषा की शक्ति | Power of Language B.Ed Notes

भाषा की शक्ति | Power of Language B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

भाषा एक कला है, मानव जीवन और भाषा सम्बन्धित संकल्पनाएँ हैं, मानवीय अस्तित्व भाषा है। इस प्रकार सम्बद्ध है कि एक के अभाव में दूसरे का ही नहीं स्पष्ट होता है। मानवजाति की यह विशेषता प्रत्येक समाज में मानव शिशु में भाषाई क्षमता जन्म से विद्यमान होती है। अन्य किसी प्राणी में यह विलक्षण क्षमता होगी। केवल मानव शिशु ही बबलाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति से युक्त होता है, जो उसके भाषाई विकास में सहायक होती है, भाषा की इस सार्वभौमिक शक्ति का विकास विभिन्न भाषाई समुदायों में विभिन्न रूपों में होता है। अतः भाषा को मानव-जीवन का वरदान कहा जा सकता है।

भाषा की शक्ति | Power of Language B.Ed Notes

मानव शिशु समाज के बीच जन्म लेता है, जहाँ सामाजिक रीतियाँ, नीतियों, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं और सामाजिक सन्दर्भों में विकसित भाषा की एक सुनिश्चित परम्परा विद्यमान रहती है, अतः मानव शिशु समाज के बीच सहज रूप से अनजाने ही भाषा का प्रयोग करने लगता है, बालक के भाषाई विकास में जन्मजात भाषाई क्षमता तथा भाषाई परिवेश का विशेष योगदान है, परन्तु मातृभाषा के प्रयोग की कुशलता प्राप्त करने में भी उसे कई वर्षों तक निरन्तर भाषा का अभ्यास करना पड़ता है. अभ्यास की यह प्रक्रिया सहज रूप से घटित होती है। एक बार भाषाई व्यवहार की कुशलता अर्जित कर लेने पर यह भाषाई शक्ति समस्त मानवीय व्यवहार का आधार बन जाती है। यही कारण है कि भाषा को मानवीय कार्य व्यापार माना जाता है।

Also Read:  विकास को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Development B.Ed Notes

ब्राउन फील्ड के अनुसार – अन्य लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित करने की शक्ति। मानव जीवन में भाषा एक ऐसी शक्ति या माध्यम है जिसके द्वारा हम अन्य लोगों के साथ स्थापित करते हैं, विचारों एवं भावनाओं के वे सभी प्रतीक तथा अर्थ देने वाले सभी रूप जिनको सामाजिक सम्पर्क के रूप में प्रयोग किया जाता है भाषा के ही अंग हैं जैसे-चेहरे पर भाव अंग (Gesture), संकेत (Sign), कला (Art) मूक ‘अभिनव’ बोलचाल का स्वरूप, लिखित स्वरूप आदि प्रतीकों एवं रूपों के आधार पर मानव को अन्य प्राणियों से पृथक समझा जाता है।

भाषा को सम्प्रेषण का प्रभावशाली माध्यम कहा गया है, इसके माध्यम से मानव समाज, विचारों एवं भावों को सम्प्रेषण करता है। अतः व्यक्ति तथा समाज के विकास में भाषा की मनभूमिका है, परन्तु यह भी सत्य है, कि मानव मस्तिष्क की विलक्षण शक्ति ने ही भाषाई प्रतीक की रचना की और उनके द्वारा विचारों तथा मनोभावों की अभिव्यक्ति एवं सम्प्रेषण को बताया। अतः भाषा को मानव का सर्वोत्कृष्ट आविष्कार माना जाता है। तुलना में बड़े आविष्कार भी नगण्य हैं, वस्तुतः आविष्कारों के मूल में भाषा की शक्ति ही विद्यमान रहती है।

Also Read:  पाठ्य-सहायक क्रियाओं के लाभ | Advantages of co-curricular activities (B.Ed) Notes

Photo of author
Published by
Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

Related Posts

Leave a comment