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अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या: परिभाषा और अर्थ | Discipline-focused curriculum B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या: परिभाषा और अर्थ

शिक्षा के क्षेत्र में कई अलग-अलग पाठ्यचर्या डिजाइन मौजूद हैं, जिनमें से एक प्रमुख है “अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या।” आज के इस पाठ में हम इस पाठ्यचर्या के अर्थ और परिभाषा को गहराई से समझेंगे।

परिभाषा:

अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या वह पाठ्यचर्या होती है जो किसी विशिष्ट विषय या अनुशासन के ज्ञान और कौशल के इर्द-गिर्द घूमती है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को उस विशेष क्षेत्र में गहन ज्ञान और समझ प्रदान करना है। दूसरे शब्दों में कहें तो, यह पाठ्यचर्या एक विशिष्ट विषय की विशेषज्ञता पर जोर देती है।

मुख्य विशेषताएं:

  • विषय पर जोर: यह पाठ्यचर्या किसी विशिष्ट विषय, जैसे कि विज्ञान, गणित, इतिहास, साहित्य आदि पर केंद्रित होती है।
  • गहन अध्ययन: इस पाठ्यचर्या में गहन अध्ययन को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे छात्रों को उस विषय की गहरी समझ हासिल होती है।
  • अनुक्रमिकता: विषय की अवधारणाएं और कौशल एक सुसंगत और क्रमिक क्रम में प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • विषय-विशेषज्ञ द्वारा विकास: इस पाठ्यचर्या को आम तौर पर उस विषय के विशेषज्ञों द्वारा ही विकसित किया जाता है।
  • ज्ञान निर्माण पर जोर: यह पाठ्यचर्या छात्रों को सिर्फ तथ्यों को रटने के बजाय ज्ञान निर्माण और विश्लेषणात्मक सोच पर जोर देती है।
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लाभ:

  • गहन ज्ञान प्राप्ति: छात्रों को किसी विशिष्ट विषय में गहन ज्ञान और समझ प्राप्त होती है।
  • विषय विशेषज्ञता का विकास: इस पाठ्यचर्या से छात्रों में उस विषय में विशेषज्ञता विकसित होती है।
  • गंभीर सोच का विकास: यह पाठ्यचर्या छात्रों को गंभीर सोच और विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करने में मदद करती है।
  • भविष्य की पढ़ाई और करियर के लिए तैयारी: यह पाठ्यचर्या छात्रों को उच्च शिक्षा और भविष्य के करियर के लिए बेहतर तैयारी करवाती है।

हानी :

  • अन्य विषयों की उपेक्षा: अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या अन्य विषयों को नजरअंदाज कर सकती है, जिससे छात्रों का समग्र विकास प्रभावित हो सकता है।
  • लचीलापन कम: यह पाठ्यचर्या अक्सर कठोर और लचीली नहीं होती है, जिससे छात्रों की व्यक्तिगत रुचियों और क्षमताओं के अनुरूप सीखने में बाधा आ सकती है।
  • अतिरिक्त दबाव: इस पाठ्यचर्या से छात्रों पर परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ सकता है, जो उनके तनाव को बढ़ा सकता है।
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निष्कर्ष:

अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या एक विशिष्ट विषय में गहन ज्ञान और कौशल प्रदान करने में प्रभावी हो सकती है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि इस पाठ्यचर्या के लाभ और कमियों को ध्यान में रखा जाए और इसे अन्य संतुलित विषयों के साथ जोड़ा जाए ताकि छात्रों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।

यह पाठ आपको अनुशासन-केंद्रित पाठ्यचर्या को समझने में मदद करेगा। यदि आपके कोई अन्य प्रश्न हैं, तो कृपया पूछें कमेन्ट करे ।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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