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आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच: व्याख्या

आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जिसमें हम किसी भी विषय, विचार या अनुभव को गहराई से और तार्किक रूप से समझने का प्रयास करते हैं। इसमें विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण करना, पूर्वाग्रहों को पहचानना और तर्कसंगत निष्कर्ष निकालना शामिल होता है।

आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच के मुख्य पहलू:

  • विश्लेषण: इसमें किसी विषय, विचार या अनुभव के विभिन्न पहलुओं को समझने और उनका विश्लेषण करने का प्रयास करना शामिल है।
  • मूल्यांकन: इसमें विभिन्न दृष्टिकोणों की तुलना करना और उनके strengths and weaknesses का मूल्यांकन करना शामिल है।
  • पूर्वाग्रहों को पहचानना: इसमें अपनी और दूसरों की सोच में मौजूद पूर्वाग्रहों को पहचानना और उनसे मुक्त होना शामिल है।
  • तर्कसंगत निष्कर्ष: इसमें विभिन्न दृष्टिकोणों और तर्कों के आधार पर तर्कसंगत निष्कर्ष निकालना शामिल है।
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आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच के लाभ:

  • यह हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।
  • यह हमें समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
  • यह हमें रचनात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।
  • यह हमें दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद करता है।
  • यह हमें जीवन में सफल होने में मदद करता है।

आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच कैसे विकसित करें:

  • विभिन्न दृष्टिकोणों के बारे में पढ़ें और जानें।
  • अपने विचारों और भावनाओं को समझने का प्रयास करें।
  • विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का अभ्यास करें।
  • प्रश्न पूछने से डरें नहीं।
  • अपनी सोच को चुनौती दें।
  • दूसरों से feedback लें।
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उदाहरण:

मान लीजिए कि आपको किसी महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेना है। आप विभिन्न लोगों से बात करते हैं और उनके विचारों को समझने का प्रयास करते हैं। आप विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण करते हैं, पूर्वाग्रहों को पहचानते हैं और तर्कसंगत निष्कर्ष निकालते हैं। उसके बाद आप अपनी राय बनाते हैं और उसके आधार पर निर्णय लेते हैं।

निष्कर्ष:

आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच एक महत्वपूर्ण कौशल है जो हमें विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने, उनका विश्लेषण करने और उनके आधार पर बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। यह हमें रचनात्मक रूप से सोचने, समस्याओं को हल करने और दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने में भी मदद करता है।

आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच और लोचात्मक समीक्षा एवं सोच में कुछ समानताएं और कुछ अंतर भी हैं।

समानताएं:

  • दोनों में विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और उनका विश्लेषण करने का प्रयास शामिल होता है।
  • दोनों में तर्कसंगत निष्कर्ष निकालने का प्रयास शामिल होता है।
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अंतर:

  • लोचात्मक समीक्षा एवं सोच में विभिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार करने और उनसे सीखने पर अधिक ध्यान केंद्रित होता है।
  • आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच में विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण और मूल्यांकन करने पर अधिक ध्यान केंद्रित होता है।

निष्कर्ष:

दोनों ही कौशल महत्वपूर्ण हैं और हमें विभिन्न परिस्थितियों में बेहतर निर्णय लेने में मदद करते हैं।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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