जीव विज्ञान: ज्ञान का एक निकाय


जीव विज्ञान का ज्ञान उपार्जन उद्देश्य अनुशासनात्मक मूल्यों की प्राप्ति के लिए है, जिसके अंतर्गत हम मनोविज्ञान के शिक्षा का स्थानांतरण सिद्धांत का उपयोग करते हैं। विद्यालयों में जीव विज्ञान इसलिए पढ़ाया जाता है। ताकि छात्रों की विभिन्न मानसिक शक्तियों, जैसे तर्कशक्ति, विचारशक्ति, कल्पना शक्ति, नियमितता, परिशुद्धता, मौलिकता, आत्मनिर्भरता की शक्ति स्मृति आदि का प्रशिक्षण मिले, जिससे उनका मस्तिष्क अनुशासित हो सके। छात्रों को विभिन्न मानसिक क्रियाओं का प्रशिक्षण मिलने पर वह अंधविश्वासों के आधार पर देख कर सुन कर या पढ़ कर किसी बात को नहीं मान लेते, बल्कि स्वयं परीक्षण करके अपने निरीक्षण के आधार पर ही निष्कर्ष निकालते हैं।

समस्त जीवों के अध्ययन से संबंधित विज्ञान को जीव विज्ञान Biology कहते हैं। बायोलॉजी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के बायोस Bios अर्थात जीवन एवं लोगोस logos अर्थात अध्ययन शब्दों से हुई है। इस विज्ञान के अंतर्गत सभी प्रकार के सूक्ष्म जीव धारियों वनस्पति एवं जंतुओं का अध्ययन किया जाता है।

अपनी उत्पत्ति के समय से ही मनुष्य को अपने स्वास्थ्य एवं बीमारी, जन्म, वृद्धि एवं मृत्यु जैसी घटनाओं के संबंध में जानकारी रखने की इच्छा, एक आवश्यकता के रूप में प्रारंभ हुई होगी। इनके अतिरिक्त भोजन, कपड़ा एवं रहने के स्थान, जैसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति हेतु मनुष्य को विभिन्न जंतुओ एवं पेड़ पौधों पर आश्रित रहना पड़ा। पेड़ पौधों एवं जंतुओं का अपने हित में उपयोग करने के लिए इनका ज्ञान रखना मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता रही होगी। ज्ञान में वृद्धि के साथ साथ सूक्ष्म जीव जगत के बारे में भी जानकारी प्राप्त हुई। अब जीव विज्ञान का अध्ययन कृषि, पशुपालन, स्वास्थ्य एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान से संबंधित शाखाओं पर अधिक केंद्रित है। जीव विज्ञान विषय भौतिक शास्त्र एवं रसायन शास्त्र विषयों के सापेक्ष में पढ़ा जाने लगा है। अब जीव धारियों को हम अणु और परमाणु के स्तर पर समझते हैं अर्थात जीवन को रासायनिक एवं भौतिक क्रियाओं के संदर्भ में समझे बिना अब जीव विज्ञान के अध्ययन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दूसरे शब्दों में जीव विज्ञान का अध्ययन एक ऐसा प्रयास है जो कि यह स्पष्ट कर सके किस प्रकार परमाणु एवं उनसे बने रासायनिक तत्व मिलकर जहां एक और चट्टान या धातु के रुप में उपस्थित हैं। वहीं दूसरी और वह फूल या मानव शरीर के रूप में भी अस्तित्व में है।

जीव विज्ञान का अध्ययन एक तरह से ही प्रकृति का अध्ययन ही है। प्रकृति का अंग होने के कारण मनुष्य की रुचि प्राचीन काल से ही रही है। प्राचीन भारतीय विद्वानों के लिखे ग्रंथों में पौधों जंतुओं तथा मानव शरीर रचना एवं क्रिया के बारे में ज्ञान भंडार है।

जीव विज्ञान का अध्ययन विज्ञान की एक शाखा के रुप में प्रारंभ करने का श्रेय ग्रीक के महान दार्शनिक अरस्तु को दिया जाता है, इसलिए उन्हें जीव विज्ञान का जनक कहते हैं। इस शाखा के लिए अंग्रेजी शब्द बायोलोजी Biology फ्रांस के प्रसिद्ध प्रकृतिविज्ञ लेमार्क की देन है।

जीव विज्ञान की शाखाएं जीव विज्ञान का कार्यक्षेत्र बहुत विशाल है। मोटे तौर पर इसका अध्ययन दो प्रमुख शाखाओं प्राणीशास्त्र (जूलॉजी) एवं वनस्पति शास्त्र (बॉटनी) के रूप में किया जाता है।

Share via:
Facebook
WhatsApp
Telegram
X

Related Posts

Leave a Comment

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
Sarkari Diary WhatsApp Channel

Recent Posts

error: