परिचय:
1990 में सिंहभूम जिले के विभाजन के बाद पश्चिमी सिंहभूम जिला अस्तित्व में आया था। 9 सामुदायिक विकास प्रखण्डों के साथ पूर्वी भाग पूर्वी सिंहभूम साथ ही जमशेदपुर मुख्यालय बना और 23 प्रखण्डों के साथ पश्चिमी सिंहभूम बन गया। पुनः 2001 में पश्चिमी सिंहभूम दो भागों में विभाजित हो गया। 8 प्रखण्डों के साथ सरायकेला-खरसावाँ जिला अस्तित्व में आया और 15 प्रखण्डों एवं 2 अनुमण्डलों के साथ पश्चिमी सिंहभूम जिला जाना जाता है। वर्तमान में वेस्ट सिंहभूम जिला में 18 प्रखण्ड और 3 अनुमण्डल है / जिला पहाड़ी ढलानों पर घाटियाँ, खड़ी पहाड़े और घने जंगलों से भरा पड़ा है। जिले में सबसे अच्छे साल वृक्ष के वन है और सारंडा (सात सौ पहाड़ी) वन क्षेत्र दुनिया भर में जाना जाता है। परिदृश्य रूप में जलप्रपात एवं जंगली जानवर से भरा हुआ है जैसे- हाथी, जंगली भैंसा, बाघों, तेंदुए, भालू, जंगली कुत्तों, जंगली सूअरों, सांभर, हिरण और चित्तीदार हिरण भी पाये जाते है लेकिन मनुष्यों के बसने से इनकी संख्या घटते क्रम में है। जिले का नामकरण दो युग्म शब्दों से हुआ है। प्रथम शब्द “सिंह” का अर्थ पोड़ाहाट के राजाओं के पितृत्व नाम से ली गयी है एवं द्वितीय शब्द “भूम” का अर्थ जिले के आदिवासी देवता सिंहबोंगा का रूप है।
सीमाएं:
नवनिर्मित झारखण्ड राज्य के दक्षिणी भाग में पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित है और राज्य का सबसे बड़ा जिला है। यह जिला 210 58′ और 230 36′ उत्तरी अक्षांश और 850 0′ और 860 54′ पूर्वी देशांतर में फैला हुआ है। समुद्र तल से 244 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 5290.89 वर्ग किलोमीटर है। जिले के उत्तर में खुँटी, पूर्व में सरायकेला-खरसावाँ, दक्षिण में उड़िसा का केउन्झर, मयूरभंज और सुन्दरगढ़ और पश्चिम में झारखण्ड का सिमडेगा एवं उड़िसा का सुन्दरगढ़ सीमाबद्ध है।
रिवर सिस्टम:
जिले में बहने वाली कुछ महत्वपूर्ण नदियां हैं
- कोयल
- कारो-कोनिया
- संजय
- रोरो
- देव
- बैतरणी
पश्चिमी सिंहभूम जिला का इतिहास
पश्चिम सिंहभूम झारखंड का सबसे पुराना जिला है। 1837 में कोल्हण पर ब्रिटिश विजय के बाद, एक नए जिले को परिणाम स्वरूप सिंहभूम के रूप में जाना जाने लगा एवं इसका मुख्यालय चाईबासा था। बाद में सिंहभूम को पूर्व सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावाँ तीन जिलों में विभाजित किया गया। पश्चिमी सिंहभूम जिले का मुख्यालय चाईबासा को ही रखा गया है।
नवनिर्मित झारखण्ड राज्य के दक्षिणी भाग में पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित है और राज्य का सबसे बड़ा जिला है। यह जिला 210 58 ‘और 230 36’ उत्तरी अक्षांश और 850 0 ‘और 86 54’ पूर्वी देशांतर में फैला हुआ है। समुद्र तल से 244 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसका क्षेत्रफल 5290.89 वर्ग किलोमीटर है। जिले के उत्तर में खुँटी, पूर्व में सरायकेला-खरसावाँ, दक्षिण में उड़िसा का केउन्झर, मयूरभंज और सुन्दरगढ़ और पश्चिम में झारखण्ड का सिमडेगा एवं उड़िसा का सुन्दरगढ़ सीमाबद्ध है। यह जिला पहाड़ी ढलानों पर घाटियाँ, खड़ी पहाड़े और घने जंगलों से भरा पड़ा है। पश्चिमी सिंहभूम जिले की आबादी का अधिकांश हिस्सा जनजातीय आबादी का है।
पश्चिमी सिंहभूम जिला मानचित्र में
पश्चिमी सिंहभूम जिला का जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार
नाम | विवरण |
---|---|
ग्राम पंचायतों की संख्या | 217 |
नगर पालिकाओं की संख्या | 2 |
गांवों की संख्या | 1687 |
अनुमंडलो की संख्या | 3 |
प्रखण्डों की संख्या | 18 |
अंचलो की संख्या | 18 |
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की संख्या | 5 |
वास्तविक जनसंख्या | 1502338 |
पुरुष | 749385 |
महिला | 752953 |
जनसंख्या वृद्धि | 21.69% |
क्षेत्रफल वर्ग किमी | 5291.02 |
घनत्व/वर्ग किलोमीटर | 209 |
झारखंड जनसंख्या का अनुपात | 4.55% |
लिंग अनुपात (प्रति 1000) | 1005 |
बाल लिंग अनुपात(0-6 आयु) | 980 |
औसत साक्षरता | 58.60 |
पुरुष साक्षरता | 71.10 |
महिला साक्षरता | 46.30 |
कुल बाल जनसंख्या (0-6 आयु) | 261493 |
पुरुष जनसंख्या (0-6 आयु) | 131836 |
पुरुष जनसंख्या (0-6 आयु) | 129657 |
साक्षरों | 727561 |
पुरुष साक्षरता | 439273 |
महिला साक्षरता | 288288 |
बाल अनुपात (0-6 आयु) | 17.40% |
लड़कों का अनुपात (0-6 आयु) | 17.59% |
लड़कियों का अनुपात (0-6 आयु) | 17.22% |