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सांप्रदायिकता का अर्थ, कारण एवं दुष्परिणाम

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सांप्रदायिकता एक सामाजिक और राजनीतिक समस्या है जो विभिन्न सामुदायिक और धार्मिक समूहों के बीच विभाजन और असमानता का कारण बनती है। यह एक स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो सकती है और इसके प्रभाव सामाजिक संप्रदायों, राष्ट्रीयताओं और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर होता है।

सांप्रदायिकता के कारणों में विभिन्न तत्व शामिल हो सकते हैं। धार्मिक अन्धविश्वास, भेदभाव, जातिवाद, आर्थिक असमानता, राजनीतिक विभाजन और आपसी विश्राम की कमी, ये सभी सांप्रदायिकता के मुख्य कारण हो सकते हैं।

धार्मिक अन्धविश्वास एक महत्वपूर्ण कारण है जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देता है। जब लोग अपने धर्म के प्रति अत्यधिक आस्था और अनुयायी होते हैं, तो वे अपने धर्म के समर्थन में अन्य समुदायों के खिलाफ हो सकते हैं। यह अन्धविश्वास और धार्मिक असहिष्णुता का प्रमाण हो सकता है, जिससे सांप्रदायिक विवादों का उत्पन्न होना संभव होता है।

भेदभाव भी सांप्रदायिकता का मुख्य कारण हो सकता है। जब लोग अपनी समुदाय को अन्य समुदायों से अलग और अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, तो वे उनके साथ सहयोग और समानता की जगह असमानता और विभाजन को प्राथमिकता देते हैं। इससे सामाजिक और राजनीतिक संप्रदायों के बीच टकराव और संघर्ष हो सकता है।

जातिवाद भी सांप्रदायिकता का महत्वपूर्ण कारण है। जब लोग अपनी जाति को अन्य जातियों से बेहतर और महत्वपूर्ण मानते हैं, तो वे जाति के आधार पर विभाजन और असमानता को बढ़ावा देते हैं। यह सामाजिक और आर्थिक विकास को रोक सकता है और सामाजिक समानता की स्थिति को खतरे में डाल सकता है।

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आर्थिक असमानता और राजनीतिक विभाजन भी सांप्रदायिकता के प्रमुख कारण हो सकते हैं। जब लोगों के बीच आर्थिक संघर्ष और असमानता होती है, तो वे अपने सामाजिक समूह के लिए अधिक संघर्ष करने के लिए तत्पर हो सकते हैं। इसके साथ ही, राजनीतिक विभाजन भी सामाजिक समूहों के बीच विभाजन का कारण बन सकता है, जिससे सामरिक और राजनीतिक संघर्ष बढ़ सकता है।

सांप्रदायिकता के दुष्परिणाम भी अत्यंत गंभीर हो सकते हैं। इससे समाज के विभिन्न समूहों के बीच टकराव और हिंसा का संभावना बढ़ जाता है। यह सामाजिक सद्भाव, सद्भावना और विकास को रोक सकता है। सांप्रदायिकता से प्रभावित होने वाले लोगों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।

सांप्रदायिकता को रोकने के लिए हमें समग्र विकास, सामाजिक समानता, धार्मिक तालमेल, सद्भावना और शांति को प्रोत्साहित करना चाहिए। सामाजिक और राजनीतिक नेताओं को ऐसी नीतियों को बनाने और लागू करने की जरूरत है जो सांप्रदायिकता के खिलाफ हों और सभी लोगों को समानता और अवसरों की सुरक्षा दें।

सांप्रदायिकता का अर्थ

सांप्रदायिकता एक ऐसी विचारधारा है जो धर्म, जाति, भाषा या समुदाय के आधार पर लोगों को विभाजित करती है। यह विचारधारा लोगों को अपनी पहचान के आधार पर दूसरों से अलग करती है और उनमें भेदभाव और घृणा की भावना पैदा करती है।

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सांप्रदायिकता का परिभाषा 

बलराज मधोक के शब्दों में, “संप्रदाय राष्ट्रीय वर्ग या कुछ धार्मिक गुरुओं के अन्य धार्मिक गुरुओं की कीमत पर अपने विशेष राजनीतिक अधिकार और अन्य अधिकारों की मांग करता है।”

सांप्रदायिकता के कारण

सांप्रदायिकता के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • राजनीतिक कारण: कुछ राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सांप्रदायिकता का इस्तेमाल करते हैं। वे लोगों को धर्म, जाति, भाषा या समुदाय के आधार पर विभाजित करते हैं और उनका वोट हासिल करते हैं।
  • सामाजिक कारण: कुछ सामाजिक कारण भी हैं जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। इनमें सामाजिक असमानता, गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक न्याय की कमी शामिल हैं।
  • आर्थिक कारण: कुछ आर्थिक कारण भी हैं जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। इनमें संसाधनों की कमी, बेरोजगारी और गरीबी शामिल हैं।
  • धार्मिक कारण: कुछ धार्मिक कारण भी हैं जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। इनमें धार्मिक कट्टरपंथ, धार्मिक असहिष्णुता और धार्मिक भेदभाव शामिल हैं।

सांप्रदायिकता के दुष्परिणाम

सांप्रदायिकता के कई दुष्परिणाम हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • हिंसा और दंगे: सांप्रदायिकता के कारण अक्सर हिंसा और दंगे होते हैं। इनमें लोगों की जान और माल का नुकसान होता है।
  • सामाजिक अशांति: सांप्रदायिकता के कारण सामाजिक अशांति और अस्थिरता पैदा होती है।
  • राष्ट्रीय एकता को खतरा: सांप्रदायिकता राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
  • सामाजिक विकास में बाधा: सांप्रदायिकता सामाजिक विकास में बाधा डालती है।
  • आर्थिक विकास में बाधा: सांप्रदायिकता आर्थिक विकास में बाधा डालती है।
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सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने के लिए कुछ उपाय

  • शिक्षा का प्रसार: शिक्षा का प्रसार सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। शिक्षा लोगों को धार्मिक कट्टरपंथ, धार्मिक असहिष्णुता और धार्मिक भेदभाव से लड़ने में मदद करती है।
  • सामाजिक न्याय: सामाजिक न्याय सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। सामाजिक न्याय सभी लोगों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रीय एकता सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। राष्ट्रीय एकता सभी लोगों को एकजुट करती है और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
  • धार्मिक सहिष्णुता: धार्मिक सहिष्णुता सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। धार्मिक सहिष्णुता सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार देती है।

निष्कर्ष

सांप्रदायिकता एक ऐसी विचारधारा है जो समाज के लिए बहुत हानिकारक है। यह हिंसा, दंगे, सामाजिक अशांति, राष्ट्रीय एकता को खतरा, सामाजिक विकास में बाधा और आर्थिक विकास में बाधा डालती है। हमें सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ना चाहिए और एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जो सभी के लिए समान और न्यायपूर्ण हो।

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